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Showing posts from January, 2025

खाटू श्याम जी

  खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान के सिंहवाली क्षेत्र स्थित खाटू गाँव में स्थित है, और यह भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। यहाँ के दर्शन लाखों भक्तों के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र बने हुए हैं। खाटू श्याम जी, जिनकी पूजा विशेष रूप से श्री कृष्ण के अवतार बार्बरीक के रूप में की जाती है, का संबंध महाभारत से जुड़ा हुआ है। खाटू श्याम जी का इतिहास बार्बरीक का जन्म बार्बरीक महाभारत काल के एक महान योद्धा थे, जिनका जन्म सुर्यवंशी राजा बृषराज और माता खीचरी देवी के घर हुआ था। बार्बरीक की विशेषता थी कि उन्हें तीन बाणों का अर्जन था, जिनके द्वारा वह किसी भी युद्ध में विजय प्राप्त कर सकते थे। उनका नाम ही 'तीर चलाने वाला' था। उनके पास एक अद्भुत शक्ति थी कि उन्होंने कोई भी युद्ध नहीं हारा। महाभारत में बार्बरीक का योगदान महाभारत के युद्ध में बार्बरीक ने भी भाग लेने की इच्छा जताई थी, लेकिन उन्हें पता था कि वह किसी पक्ष का समर्थन करने पर पूरे युद्ध को अपनी शक्तियों से समाप्त कर देंगे। इसलिए, उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से यह पूछा कि वह किस पक्ष का समर्थन करें। भगवा...

हनुमान जी का जन्म

  हनुमान जी , जिन्हें पवनपुत्र, अंजनेय, बजरंगबली, और महावीर के नामों से जाना जाता है, हिंदू धर्म में शक्ति, भक्ति और समर्पण के प्रतीक हैं। वे भगवान शिव के 11वें रुद्र अवतार माने जाते हैं और भगवान राम के परम भक्त के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनका चरित्र साहस, निःस्वार्थ सेवा और अद्वितीय शक्ति का प्रतीक है। हनुमान जी का जन्म हनुमान जी का जन्म माता अंजना और पिता केसरी के घर हुआ। उनके जन्म की कथा अद्भुत है। माता अंजना एक अप्सरा थीं, जो एक ऋषि के श्राप से वानरी रूप में जन्मीं। वे तपस्या करके भगवान शिव से पुत्र प्राप्ति का वरदान मांग रही थीं। भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर रुद्र रूप में उनके पुत्र के रूप में जन्म लिया। उनके जन्म में पवन देव (वायु देवता) का विशेष योगदान है। इसलिए उन्हें पवनपुत्र कहा जाता है। हनुमान जी का स्वरूप हनुमान जी को वानर रूप में चित्रित किया गया है। उनका स्वरूप कुछ इस प्रकार है: लंबी पूंछ और बलिष्ठ शरीर। सिर पर स्वर्ण मुकुट और गदा धारण किए हुए। उनका मुख लालिमा लिए हुए और नेत्र तेजस्वी हैं। हनुमान जी की शक्तियाँ और विशेषताएँ अपरिमित बल...

ब्रह्मा जी का जन्म

  ब्रह्मा जी को हिंदू धर्म में सृष्टि के रचयिता माना जाता है। वे त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) में से एक हैं और सृष्टि को उत्पन्न करने का कार्य करते हैं। ब्रह्मा जी को वेदों, ज्ञान और सृजन का देवता भी कहा जाता है। उनके बारे में कई कथाएँ और पौराणिक प्रसंग वर्णित हैं। ब्रह्मा जी का जन्म ब्रह्मा जी के जन्म के बारे में कई कथाएँ हैं: कमल से उत्पत्ति पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल के फूल पर प्रकट हुए। जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में थे, तो उनकी नाभि से एक कमल निकला, और उस पर ब्रह्मा जी का जन्म हुआ। इसलिए ब्रह्मा जी को "कमलासन" कहा जाता है। शिव पुराण के अनुसार शिव पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ने ब्रह्मा जी और विष्णु जी को सृष्टि के संचालन के लिए प्रकट किया। शिव जी ने ब्रह्मा को सृष्टि का रचयिता और विष्णु को पालनकर्ता बनाया। ब्रह्मा जी का स्वरूप ब्रह्मा जी को चार मुख वाले देवता के रूप में दर्शाया जाता है। उनके चार मुख चार वेदों का प्रतिनिधित्व करते हैं: ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद अथर्ववेद उनके चार हाथों में कमल, व...

शनि देव की जन्म कथा

शनि देव जी की कथा भारतीय पौराणिक ग्रंथों और लोक कथाओं में वर्णित है। शनि देव, जिन्हें शनैश्चर भी कहा जाता है, सूर्य देव और छाया (संध्या) के पुत्र हैं। वे नौ ग्रहों में से एक हैं और कर्म के अनुसार फल देने वाले देवता माने जाते हैं। उनकी दृष्टि को क्रूर माना जाता है, लेकिन यह न्याय और धर्म का पालन करने के लिए होती है। शनि देव की जन्म कथा पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनि देव का जन्म सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया से हुआ था। छाया, सूर्य देव की पत्नी संज्ञा की छाया स्वरूप थीं। जब शनि देव का जन्म हुआ, तो उनकी रंगत बहुत काली थी। सूर्य देव ने यह देखकर उन्हें अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया। इस कारण छाया ने शनि देव को तप और साधना में प्रवीण बनाया। उनकी तपस्या के प्रभाव से उन्हें देवताओं के बीच उच्च स्थान प्राप्त हुआ। शनि देव और उनकी दृष्टि शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। कहा जाता है कि उनकी दृष्टि बहुत प्रभावी और कठोर होती है। जब वह किसी पर कृपा दृष्टि डालते हैं, तो उसे अपार सफलता मिलती है, लेकिन उनकी कुदृष्टि से व्यक्ति को कष्टों का सामना करना पड़ता है। एक कथा के अनुसार, शनि देव का प्र...